आज अगर सिलाई मशीन का अविष्कार नहीं हुआ होता तो क्या आज से समय में इस्तेमाल की जाने वाली खूबसूरत कपड़े हम पहन पाते। हाथ से सिलाई की कला बहुत ही अधिक पुरानी है।जब पहले सिलाई सुई नहीं होती थी उस समय हड्डियों या जानवर के सींग का इस्तेमाल सिलाई सुई की रूप में होता था।पहले धागा पशु पेशी से बनाया जाता था। बाद में आगे चल कर 14 वि शताब्दी में लोहे की सुई का निर्माण हुआ।
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यांत्रिक सिलाई का जन्म
सिलाई मशीन की प्रथम मशीन ए. वाईसेन्थाल ने 1755 ई. में बनाई थी।इसकी सूई के मध्य में एक छेद था तथा दोनों सिरे नुकीले थे।थॉमस सेंट नाम के इंग्लैंड के एक कैबिनेट निर्माता ने 1790 में पहली सिलाई मशीन को डिजाइन किया था।इनके पेटेंट में चमड़े और कैनवास के लिए हाथ से इस्तेमाल की जाने वाली क्रैंक के माध्यम से संचालित मशीन का वर्णन किया गया है। ए. वाईसेन्थाल के बाद 1790 ई. में थामस सेंट ने दूसरी मशीन का आविष्कार किया।
साल 1874 में ब्रिटिश अभियंता विलियम न्यूटन को थॉमस सेंट का डिजाइन मिला तो उन होने इसका एक प्रतिकृति बनाया जिसे वे चला कर दिखया और साबित किया की ये मशीन काम करती है।
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एलायस
होवे का जन्म का 09 /07 /1819 थी। उन्होंने 1835 में अमेरिका के एक टेक्सटाइल कम्पनी में एक प्रशिक्षु के तरह अपना कैरियर की शुरुआत की। इन्होने 10/09/1846 में सिलाई मशीन को पेटेंट करवाया।इन्हे लॉकस्टिच डिजाइन के लिए पहले अमेरिकी पेटेंट पुरस्कार मिला था।उस समय अमेरिका में कोई भी शख्स उनके मशीन को खरीदने के लिए तैयार नहीं हुआ तब एलायस होवे के भाई ने ब्रिटेन तक का सफर तय कर इस मशीन को 250 पाउंड में बेचा था।उन्होंने आगे चल कर 1851 में पेंट में लगने वाली चेन का आविष्कार किया और उसे भी पेटेंट करवाया। भारत में भी 19 वी शताब्दी के अंत समय तक मशीन आ गई थी। इसमें दो मुख्य थीं, अमरीका की सिंगर तथा इंग्लैंड की ‘पफ’. स्वतंत्रता के बाद भारत में भी मशीनें बनने लग गई जिनमें ‘उषा’ प्रमुख तथा सबसे अच्छा है।भारत में साल 1935 में कोलकाता के एक कारखाने में उषा नाम की पहली सिलाई मशीन बनाई जाने लगी थी। मशीन के सारे पार्ट्स पुर्जें भारत में ही बनाए गए थे। आजकल तो भारत में तरह-तरह की सिलाई मशीनें बनती हैं जिन्हें विदेशों में भी बेचा जाता है। सिंगर के आधार पर मेरिट भी भारत में ही बनती है।दो हजार से ज्यादा तरह की मशीनें है जो की अलग-अलग कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाती है:-जैसे कपड़ा, चमड़ा, आदि सीने के काम आती है। आजकल तो बटन टांकने,काज बनाने,कसीदा करने लिए इन सब प्रकार की मशीनें अलग-अलग बनने लगी हैं।आज के समय में मशीन बिजली द्वारा भी चलाई जाने लगी।उम्मीद करता हु आपको ये पोस्ट पसंद आया होगा। आप सभी मेरे इंस्टाग्राम पेज को फॉलो कर सकते है जिसका लिंक SOCIAL PLUGIN में दिया हुआ है।